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अंतिम यात्री ट्रेन

आखिरी ट्रेन

विक्रम, कोलकाता के एक भीड़भाड़ वाले इलाके में रहने वाला 16 साल का लड़का, एक पार्टी के बाद आधी रात को आखिरी बस छूटने से परेशान था। उसे लोकल ट्रेन लेनी पड़ी, जिसके बारे में कहा जाता था कि रात में यह खतरनाक है। वह भूतों की कहानियों पर यकीन नहीं करता था। सुनसान स्टेशन पर, ट्रेन शोर मचाती हुई आई, इसकी लाइट्स टिमटिमा रही थीं। विक्रम खाली डिब्बे में चढ़ा, सिवाय एक कोने में बैठी एक औरत के, जो ग्रे साड़ी में थी, चेहरा घूंघट से ढका हुआ, और एक पुराना बैग पकड़े हुए। वह हिली नहीं, लेकिन विक्रम को ठंडक महसूस हुई।

अंधेरे का गीत

ट्रेन चलने लगी, लेकिन लाइट्स बंद हो गईं, सिर्फ चांद की रोशनी खिड़कियों से आ रही थी। विक्रम ने फोन चेक किया: न सिग्नल, न वाई-फाई, और बैटरी 80% से 10% पर आ गई। औरत ने धीमी आवाज में कुछ बुदबुदाना शुरू किया, जैसे पुराने बंगाली में कोई भजन। विक्रम ने नजरअंदाज करने की कोशिश की, लेकिन शब्द उसके दिमाग में घुस गए, मौत और टूटे वादों की बातें। उसने औरत की ओर देखा; उसका घूंघट गिर गया था। चेहरा एक खोपड़ी था, चमकती आंखों और इतने नुकीले दांतों के साथ जो इंसानी नहीं हो सकते थे।

अनंत वैगन

विक्रम अगले डिब्बे की ओर भागा, लेकिन वह बिल्कुल वैसा ही था, और औरत फिर से वहां थी, जैसे कभी हटी ही न हो। ट्रेन की स्पीड बढ़ गई, खिड़कियों में सिर्फ अंधेरा दिख रहा था, कोई स्टेशन नहीं। उसने दरवाजे पीटे, चिल्लाया, लेकिन कोई जवाब नहीं। फोन वाइब्रेट हुआ, और बिना सेंडर के एक मैसेज आया: “तुम आखिरी यात्री हो। कीमत चुकाओ।” औरत उठी, हवा में तैरती हुई, और उसने विक्रम की ओर इशारा किया। उसकी त्वचा फटने लगी, खून बहने लगा, और उसे लगा जैसे उसकी आत्मा चूसी जा रही हो।

असली दुःस्वप्न

विक्रम स्टेशन पर जागा, हांफते हुए, सोचकर कि यह एक बुरा सपना था। लेकिन उसके फोन में एक नई फोटो थी: वह ट्रेन में, औरत के बगल में, उसकी आंखें औरत जैसी चमक रही थीं। उसने दोस्तों को बताया, लेकिन किसी ने यकीन नहीं किया। अगली रात, उसे एक खालीपन महसूस हुआ, जैसे कुछ गायब हो। जब वह फिर से ट्रेन में चढ़ा, वह एक ऐसे स्टेशन पर रुकी जो नक्शे में नहीं था। औरत वहां थी, मुस्कुराते हुए। उसने कहा, “तूने अपनी आत्मा से कीमत चुकाई। अब अगले को ला।”

अंतिम आह्वान

ट्रेन फिर कभी विक्रम के स्टेशन पर नहीं रुकी। उसके दोस्तों ने X पर पोस्ट किया कि वह गायब हो गया। लेकिन कभी-कभी, देर रात, उन्हें विक्रम का मैसेज मिलता: “आखिरी ट्रेन ले। मैं तेरा इंतजार कर रहा हूं।” जो भी उस ट्रेन में चढ़ता, वह कभी वापस नहीं आता।

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