
अनजान गली
समीरे, दिल्ली के एक व्यस्त इलाके में रहने वाला 15 साल का लड़का, चांदनी चौक के भीड़भाड़ वाले बाजारों को एक्सप्लोर करना पसंद करता था। वहां मसालों से लेकर पाइरेटेड इलेक्ट्रॉनिक्स तक सब मिलता था। एक रात, अपनी खराब नोट्स को लेकर माता-पिता से झगड़े के बाद, वह भागा और एक ऐसी गली में खो गया जो उसने पहले कभी नहीं देखी थी। रोशनी मद्धम थी, और स्टॉल्स पर अजीब चीजें थीं: चमकते तरल के जार, इंसानी आंखों वाले गुड़िया, और एक स्टॉल पर एक शीशा, जो उसका चेहरा नहीं, बल्कि किसी अजनबी का चेहरा दिखा रहा था।
चेहरा बेचने वाला
एक लाल पगड़ी वाला बूढ़ा उसे बुलाता है: “नया चेहरा चाहिए, लड़के?” उसने एक काले पर्दे की ओर इशारा किया, जहां इंसानी चेहरे लटके थे, जैसे नकाब, लेकिन असली त्वचा के साथ, आंखें जो पलकें झपकाती थीं, और मुंह जो कांपते थे। समीरे ने हंसकर इसे मजाक समझा, लेकिन बूढ़े ने कहा, “एक चुनो। जो चाहे बन जा।” उसने बताया कि हर चेहरा किसी का था, और 100 रुपये में, वह एक रात के लिए इसे पहन सकता है। उत्सुकता में, समीरे ने एक खूबसूरत चेहरा चुना—एक बड़े लड़के का, आत्मविश्वास भरी आंखों और परफेक्ट मुस्कान के साथ।
नया समीर
उसी पल, समीरे की त्वचा जलने लगी। शीशे में देखने पर, वह नया चेहरा था। घर लौटने पर, उसके माता-पिता को कुछ फर्क नहीं पड़ा, लेकिन वे उसे बेहतर तरीके से ट्रीट करने लगे, जैसे वह कोई और हो। स्कूल में, सब उसकी तारीफ करने लगे, और उसकी क्रश, जिसने उसे कभी नोटिस नहीं किया, ने उसे डेट पर बुलाया। लेकिन रात में, चेहरा बोलने लगा, उसके दिमाग में फुसफुसाते हुए: “मैं आदित्य हूं। मुझे वापस कर।” समीरे ने चेहरा उतारने की कोशिश की, लेकिन वह उसकी त्वचा से चिपक गया था। शीशे में, आदित्य की आंखें खून से रो रही थीं।
बाज़ार का रहस्य
समीरे बाजार वापस गया, लेकिन वह गली गायब थी। घबराहट में, उसने X पर सर्च किया और “चेहरों का बाजार” के बारे में अफवाहें पाईं, एक शापित बाजार जो आता-जाता रहता है, जहां एक राक्षस चेहरों के बदले आत्मा का हिस्सा लेता है। हर रात, आदित्य का चेहरा और मजबूत होता गया, उसके दोस्तों से बात करने लगा, और समीरे ने लिखी न गई कैप्शन के साथ सेल्फी पोस्ट कीं। उसके माता-पिता उसे आदित्य बुलाने लगे, और समीरे को लगने लगा कि वह भूल रहा है कि वह समीरे कौन है।
अंतिम कीमत
आखिरी कोशिश में, समीरे ने चाकू से चेहरा काटने की कोशिश की, चिल्लाते हुए, लेकिन खून उसका नहीं, किसी और का था। चेहरा हंसा, और वह बेहोश हो गया। जब वह जागा, वह बाजार में था, लेकिन अब उसका चेहरा स्टॉल पर लटक रहा था, नए ग्राहक की ओर पलकें झपकाते हुए। वह चिल्लाना चाहता था, लेकिन उसके पास मुंह नहीं था। बूढ़ा मुस्कुराया और बोला, “तेरा चेहरा बिक चुका है। अगले जन्म में शुभकामनाएं।”